मैं
सबसे पहले ये सोरमंडल जिसमें ये एक सूरज
जिसके चारों ओर चक्कर लगाते आठ ग्र्ह्हो में से एक पृथ्वी, और पृथ्वी
के एक महाद्वीप के एक बड़े देश के एक राज्य के एक शहर की एक कोलोनी के किसी मकान के
खोपचे में रहने वाला मै अगर एजुकेशन, स्वास्थ्य ,सक्सेज ओर पैसे की द्रष्टि से दुनिया के 730 करोड़
लोगो में मेरा नंबर देखूं तो 700 करोडवा स्थान भी न आए । ओर
वैसे मैं खुद को अपने बीवी- बच्चों, माँ-बाप, यार-दोस्तों ,पड़ोसियों की नज़र में सबसे बड़ी तोप समझता
हूँ
इस दुनिया में अकबर, अशोक ,चाणक्य ,सिकन्दर से लेकर लिंकन, गांधी ,मंडेला से चाय वाले मोदीजी के अलावा 74-75
की उम्र में भी (साल का )150 करोड़ कमाने वाले अमिताभ, इन्सान से भगवान बने सचिन ,हर फिल्म की रिलीज के साथ
सक्सेज की हदे बेशर्मो की तरह हर बार तोड़ते हुए वो तीन प्यारे कमीने सलमान ,
शाहरुख़ , आमिर , कंडेक्टर
से भगवान बने हमारे रजनी सर, सानिया,लिएंडर
पेस,महेश भूपति,विश्वनाथ आनन्द,लताजी ओर तो ओर 1000 डॉलर का नोट नीचे गिर जाने पर उसको उठा के जेब में रखने तक के
टाइम में ही इससे तीन गुना नुकसान खा जाने वाले कोलेज ड्राप आउट बिल गेट्स,पेट्रोल पंप पर काम करने वाला वो बंदा पूरे भारत को पेट्रोल के साथ ना
जाने क्या क्या ,क्या क्या ओर क्या क्या बेचने वाले अंबानी
जी, मोची से बाटा ,टेलर से रेमंड्स ,व्हेटर से अक्षय, बेकरी शोपकीपर से ३ इडियट के वायरस
ओर बर्तन गिरवी रख कर बिरला जी ,टाटा की तो बात ही ना करे।
रोड के भिखारी से लेकर बिल गेट्स तक, सरकारी
चपड़ासी से प्रधानमंत्री तक अगर सक्सेज के हिसाब से नंबरिंग दी जाये तो मेरा 730 करोडवा स्थान भी आए तो भी मुझे शर्म नही आती,
जबकि कमाल ये हैं कि साला सबके वो ही हाथ,
वो ही पाँव, वो ही आखें, नाक ,मुँह , बाल सब समान है,काटो तो खून का रंग भी एक ही, तो यार अंतर क्या
हैं सिर्फ ओर सिर्फ आखोँ के ऊपर 100 ग्राम
के दिमाग में आने वाले विचारों का, सोच का ,क्योंकि मै सोचने में भी आलस करता हु और मुझे शर्म नही आती हैं की जब मेरे
भाई-भतीजे ,पडोसी, यार-दोस्त के पास
कार हैं और मै 10 साल पहले वाली बाईक लेकर
दो बच्चों को टंकी पर ,एक बीवी की गोद में ,बच्चे की गर्दन बार बार नीचे करता
हुआ, बारिश के मौसम में निकल पडता हूँ उनको घुमाने ।
मुझे शर्म नही आती कि में धन तेरस के दिन जेब में 20 हजार
रखकर कार में अपनी माँ को अगले दस साल तक ही नही बल्कि 15-20-25 साल तक भी शोपिंग
पर ले जा पाँऊ, क्योंकि मुझे लक्ष्य बनाने ,जी तोड़
मेहनत करने और अपने दिमाग को काम में लेने
में भी जोर आता हैं मुझे इसमें भी कोई शर्म नही आती कि अपनी बीवी को दो साल में एक
सस्ती साड़ी दिलाकर अगले दो साल तक गिनाता रहूँ । क्योंकि ये मैं हूँ भारत का पिछड़ा ओर मध्यम वर्ग का आलसी, प्रोबलम्स से घिरा हुआ ऊचाईयों की ओर जाने कि जी तोड़ कोशिश करता हुआ एक इन्सान मैं।
लेकिन अब मुझे शर्म आने लगी हैं मैं सोचने लगा,ओर सोचते सोचते
एक महान लक्ष्य निर्धारित किया हैं ओर विश्वास करते हुए इस उतेजना पूर्ण अभियान को
शुरु किया हैं ये अभियान प्रॉब्लम एक
सलूशन हजार की थीम पर बेस्ड हैं। मतलब दुनिया में किसी को कोई भी, कैसी भी टेंशन या प्रॉब्लम हो तो इस वेबसाइट पर हजारों प्रैक्टिकल सलूशन लाखों लोग देंगे और जब तक आपकी प्रॉब्लम दूर नही होती तब तक आप को
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लेकर उसके हल होने तक की , कैसे आपने उसको हल
किया. जिसे लोग पढ़ कर मोटीवेट हो सके , लाइफ को खुशहाल बना सकें ।
तो आओ चलते है खुशहाल जिंदगी और खुबसूरत दुनिया की ओर ..... Lets we walk the happy life and
beautiful world...
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